Friday 30 July 2021

शनि राहु योग और उपाय

शुभ प्रभात  Happy Saturday
31 जुलाई 2021

आज  शनिवार है और दिन राहु का, राहु प्रधान दिन इसलिए क्योंकि आज के दिन का अंक है 4,  राहु और शनि के योग को बड़ा ही विध्वंसक माना जाता है। किसी भी रूप में ये दोनो जुड़ जाए तो विस्फोटक अर्जन उत्पन्न करते है और उसका सही उपयोग हो तो सकारात्मक अन्यथा बड़े नकारात्मक परिणाम सामने आते है, तो क्यों ना राहू और शनि को मजबूत करने की ही बात की जाए, विद्वान ज्योतिषियों और अध्यात्म के जानकारों द्वारा बताए गए उपायों के भी गहरे मतलब होते है जो इन्हें समझ कर कर ले उनके बहुत से दोष कट जाते है।

वर्तमान में पैदा हुए अवरोध और समस्याओं का सीधा और गहरा संबंध पूर्व एवं वर्तमान जन्म के कर्ज और कर्म से होता है, ये योग भी कुंडली में ऐसे ही किसी संबंध से जन्म लेता है, ऐसे योग महत्वाकांक्षा और ऊर्जा देते है परंतु नकारात्मक ग्रहों के होने से विवेक शून्य कर देते है ताकि जातक महत्वाकांक्षा की प्राप्ति में ये भूल जाए की इस प्राप्ति के नुकसान क्या है।

अवश्य ही ये योग कोई कर्ज की तरफ संकेत देते है और उनके उपाय में कर्ज चुकाने में ही छुपे है उदाहरण के लिए परिस्थिति विशेष में बताया गया ज्योतिषीय उपाय की शनिवार के दिन अस्पताल में जा कर जरूरतमंदों को भोजन और औषधीय वितरित करना या आर्थिक मदद मुहैया कराना,  अवश्य ही  इस साधारण से दिखने वालें उपाय में विद्वान ने जातक के अस्पताल जाने के चक्कर और दवाइयों पर खर्च दिख रहे थे अतः परेशानियों को इस तरह कम करने की सलाह दी गई।

आज के युग में हम सब की कमाई में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दिल दुखा कर या गलत तरीके से कमाया धन शामिल होता है, कई बार हम जाने अनजाने बिना मेहनत का धन भी लालच वश अर्जित कर लेते है जिस पर हमारा अधिकार नही होता, ये सारा अर्जित धन ब्याज सहित नुकसान होना तय है, अतः समाजसेवा या दूसरों की मदद के रूप में किए उपाय ग्रह दोष दूर करने में भी सहायक हो सकते है। उपाय छोटे या बड़े नहीं होते एक पेड़ रोपित करना भी बड़ा उपाय है क्योंकि अपने जीवन काल में ये पेड़ न जाने कितने लोगो को धूप बारिश से बचाएगा या पंछियों को आसरा देगा, इसीलिए शनि राहु के लिए पीपल या नीम पीपल, बरगद की त्रिवेणी रोपित की जानी चाहिए ,ये तीनो ना सिर्फ देव वृक्ष है बल्कि पर्यावरण के लिए भी बहुत उपयोगी है।

कुंडली में कमजोर शनि वालों को अवसर ढूंढना होंगे, अवरोध भी आयेंगे पर बजाए इसके की के हार मान कर चुप बैठे आवश्यक है मदद मांग रहे हर व्यक्ति को उपलब्ध हो और कुछ नही तो अपनी बातो और आप उसके साथ है इस आश्वासन  से कमजोर का मनोबल बढ़ा कर उनकी इच्छाशक्ति जागृत रखे।

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पंकज उपाध्याय
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मानसिक अवसाद का बढ़ता जाल


मानसिक अवसाद का बढ़ता जाल - जिम्मेदार कौन?

आज से अधिक से अधिक दो दशक पहले क्या कभी किसी ने सोचा था कि डिप्रेशन अर्थात मानसिक अवसाद क्या होता है, विदेशियों को होने वाला ये रोग हमारे देश में कैसे आ गया? आज तो ये संक्रामक रोग की तरह तेजी से बढ़ रहा है और देश का नौन्नीहाल ,जिसके कंधो पे पूरे देश का बोझ है वो छोटी छोटी बातो पर मानसिक अवसाद का शिकार हो गलत कदम उठा रहा है।

दरअसल इसका जिम्मेदार हमारा समाज यानी  हम सब है, आधुनिकता और विलासिता की दौड़ में आगे बढ़ते हुए हमने कब अपने बच्चो को आपसी प्रतियोगिता में ऐसा झोंक दिया की वो अपने सगे ,संबंधियों और अत्यंत निकट के रिश्तों में भी प्रतियोगिता में लग गए, इस प्रतियोगिता के लिए मानसिक रूप से तैयार करने हेतु हमने बचपन से उन्हें सुख और सुविधाओ के मोह जाल में बांधा, अच्छे से अच्छा बेडरूम, फोन, गाड़ी ,कपड़े और वो सारी सामग्री जो उसे उनका गुलाम और मानसिक रूप से कमजोर बना सकती थी, पुरानी पीढ़ी को बचपन से हरकुछ बांटना सिखाया जाता था, कपड़े , बड़े भाई बहन की अध्ययन सामग्री छोटो को, साइकिल ,यहां तक कि भोजन भी साथ बैठ के खाना सिखाया जाता था और सब लड़ते झगड़ते बड़े होते थे, मजाक मजाक में एक दूसरे को पीटना और नीचा दिखाना सहन शक्ति को बढ़ाता था।

माता पिता भी बच्चो को अपना गुस्सा निकलने हेतु कभी भी छोटी मोटी गलती पर हाथ साफ कर दिया करते थे, बच्चो के गुस्सा करने और बहस करने पर डबल प्रसाद मिलता था, इससे बच्चो में  जाने अंजाने  संघर्ष करने की शक्ति विकसित होती थी जो बड़े होने पर काम आती है, शिक्षको को भी लज्जित और अपमानित कर कुटाई का पूर्ण अधिकार था पर आज परिस्थिति ठीक विपरीत है, शिक्षको के हाथ माता पिता द्वारा बांध दिए गए है, माता पिता स्वयं बच्चो को थोड़ा सा नाराज होने पर उनकी जरूरतों को पूरा करने में लग जातें है।

दरअसल बच्चो को संयुक्त परिवार में अनौपचारिक रूप से एक विषय पढ़ाया जाता था, क्राइसेस मैनेजमेंट, जिसमे कम सुविधाओ के साथ खुश रहना, बांटने की आदत, असफल होने पर भी प्रसन्न हो संघर्ष करते रहना और बढ़ो से सीखते रहना ये सिखाया जाता था। ये विषय की क्लास अब घर में नही ली जाती जो बच्चे को वयस्क होने पर अकेला और कमजोर बना देती है, जाने अंजाने वो अपनो से प्रतियोगिता करता है और पीछे रहने पर मानसिक अवसाद से घिर जाता है।

देश की रक्षा करने वाले सैनिकों को जहां लड़ना सिखाया जाता है वहीं विपरीत परिस्थितियों से कैसे बाहर आना उसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया जाता है, वैसे ही हमारे होनहारों को भी किसी भी प्रकार की विपरीत अपरिस्थिति के लिए मानसिक रूप से तैयार रखना आवश्यक है, कई बार ये छोटे लम्हे बड़ा नुकसान दे जाते है जबकि उनसे धैर्य रख लड़ लिया जाए तो जीत हमारे सामने होती है।

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Thursday 22 July 2021

Jupiter Transit in Capricorn गुरु का मकर राशि में भ्रमण

गुरु का मकर राशि में भ्रमण

https://youtu.be/CVwspgGfbpU

जुनून का ग्रह शुक्र


जुनून का ग्रह शुक्र

अगर कोई शुक्र के पर्यायवाची शब्द के बारे में पूछे तो एक ही शब्द निकल कर आता है जुनून, शुक्र जोश, जुनून और अग्नि का ग्रह कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, कुंडली में जितना दूषित शुक्र उतना अधिक जोश देगा और जितना सुधरी स्थिति में रहे उतना आत्म नियंत्रण ।

जीवन में जितनी मुसीबतें होते है या यू कहे जितने लोग मुसीबतों और परेशानियों में फंसे दिखते है उसके पीछे मूल कारण निकल कर आएंगे वो दूषित शुक्र के परिणाम होंगे, अधिक से अधिक संपत्ति अर्जित करने की लालसा, विलासिता या सुख सुविधाओं के भोग की आकांक्षा और नंबर 1 पर  पहुंचने की दौड़ में सबसे आगे रहने का जोश, चाहे जोश की कमी।

शुक्र बीमारियां भी देता है, मधुमेह दूषित शुक्र का ही परिणाम होता है, इसके पीछे का कारण भी एक ही है, महत्वाकांक्षाओं और लालसा की प्राप्ति में शरीर का ध्यान नहीं देना और चिंता अधिक करना, शुक्र दूषित हो तो व्यक्ति अपने ही बारे में अधिक सोचता है वो उसे अपनो और समाज से काट देता है। दूषित शुक्र अर्थात शरीर की अग्नि कमजोर, जो पाचन को कमजोर कर व्याधियों को जन्म देती है।

गुरु की राशि मीन में आ कर शुक्र उच्च का होता है जो उसे संतुलित बनाता है, इसलिए जुनून संतुलित रहता है जो सुखी जीवन का कारण बनता है, जुनून बुरा नही परंतु उसकी दिशा परेशानी का कारण बनती है। मित्र बुध की राशि में आकर शुक्र नीच का होता है अर्थात युवा सुकुमार बुध उसकी लालसाओ का भड़काता है।

केतु जैसे ग्रह के साथ आ कर या कई परिस्थितियों में  शुक्र   अत्यंत कमजोर हो जाता है जो व्यक्ति को निस्तेज भी कर देता है व्यक्ति समाज और पारिवारिक जीवन से दूर भागता है।

शुक्र को वास्तु के दृष्टिकोण से  अग्नि तत्व का स्वामी कहा गया है क्योंकि जीवन चक्र को सुचारू चलाने के लिए अग्नि भी आवश्यक है और जोश भी , बस उसकी अधिकता पर नियंत्रण आवश्यक है।

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Venus in Transit in Virgo

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Venus in Virgo